आज 7 वें दिन मां के कालरात्री रूप की पूजा अर्चना की जाएगी। मां के 7 वें रूप को कालरात्री के नाम से जाना जाता है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है।
इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है। देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता देवी – काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृित्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है।
कालरात्री मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा ने दुष्टों का विनाश करने के लिए यह रूप लिया था। देवी मां के इस रूप को साहस और वीरता का प्रतीक माना जाता है।