नवरात्री के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा की जाती हैं. आज चौथे दिन को मां के कूष्माडा रूप की पूजा अर्चना की जाएगी।
मान्यता के अनुसार, मां कुष्मांडा संसार को अनेक कष्टों और विपदाओं से मुक्ति प्रदान करती हैं। मां कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी पूजा से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।
कूष्माडा देवी मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदाऽस्तु मे ॥
कुष्मांडा का अर्थ होता है कुम्हड़ा। मां दुर्गा असुरों के अत्याचार से संसार को मुक्त करने के लिए कुष्मांडा अवतार में प्रकट हुईं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कुष्मांडा ने पूरे ब्रह्माण्ड की रचना की है।
ऐसी मान्यता है कि पूजा के दौरान उनकी कुम्हड़े की बलि दी जाए तो वे प्रसन्न होती हैं। ब्रह्माण्ड और कुम्हड़े से उनका जुड़ाव होने कारण वे कुष्मांडा के नाम से विख्यात हैं।